أعوذ بالله من الشيطان الرجيم بسم الله الرحمن الرحيم الْحَمْدُ للَّهِ رَبِّ الْعَـلَمِينَ لصلوۃ والسلام و علیک یا رسول اللہ ﷺ
अल्लाह पाक सच्चा और उसका कलाम भी सच्चा मुसलमान पर जिस तरह ला इलाहा इलल्लाह मान ना अल्लाह अज़्ज़वजल को अहद समद लाशरिका लहू जान ना फ़र्ज़ ए अव्वल वा मिन्नत ए ईमान है यूँही मुहम्मद रसूल अल्लाह ﷺ को खातमुन नबीईन मान ना है नबी ए करीम ﷺ का आखरी नबी होना निहायत बे गुबार और वाजै मसला है जिस पर क़ुरान ए करीम की आयत ए करीमा सरि हदीस ए पाक मौजूद है तमाम सहाबा से लेकर आज तक के तमाम मुसलमानो का इजमा है, अक़ीदा खत्मे नबूवत ईमान का जुज़ है अहले ईमान ने इसकी मुहाफिज़त के लिए ना जाने कितनी शहादत दी है और कभी इससे पीछे नहीं हटे सहाबा से लेकर आज तक की तारिख इसकी गवाह है मगर कुछ लानती किस्म के लोग हमेशा आयें है जिन्होंने झूठा दावा ए नबूवत करके आम मुसलमानो को शक व शुबहात में मुब्तेला किया जिनके बारे में नबी ﷺ ने पहले ही बता दिया था यहाँ हम क़ुरान ए करीम की आयत ए मुबारका और बोहत सी हदीस ए पाक अक़्वाल ए आइम्मा से इसपर दलाइल पेश करेंगे जिसको पढ़ कर आप मुतमईन होजायँगे
इस आयत की तफ़्सीर में मुफ्फसीरिन ने लिखा है नबी ए अकरम ﷺ आखरी नबी हैं
हाफिज इब्न कसीर (अल मुतवफ़्फ़ा 774 हिज़री) अपनी तफ़्सीर में लिखते है "यानी ये आयत इस मौज़ू पर नस्स है के आपके बाद कोई नबी नहीं (तफ़्सीर ए क़ुरान अल अज़ीम लील इब्न कसीर जिल्द 03/665)
मुहर ए नबूवत ﷺ से खत्मे नबूवत का बयान
ये ऐतराज़ है और सारे झूठे दावेदार येही ऐतराज़ को अपने लिए दलील बनाते है मगर हैरत की बात है चाहे गुलाम अहमद मिर्ज़ा हो या कोई और दूसरे इन सबको ईसा अलैहसलाम का आखिरी ज़माने में दोबारा आना खत्मे नबूवत के खिलाफ तो लगता है पर इनका अपना दावा ए नबूवत करना खत्मे ए नबूवत के खिलाफ नहीं लगता
इमाम अली इब्न मुहम्मद इब्न इब्राहिम रहमतुल्लाह अलैह "इसा अलैहसलाम उन नबियों में से है जो आप ﷺ से पहले मबऊस हो चुके" (तफ़्सीर ए खाज़िन जिल्द 03/503)
खत्मे दौर ए रिसालत पर लाखो सलाम
(आला हजरत इमाम अहमद रज़ा खान फ़ाज़िल ए बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह)
अल्लाह पाक सच्चा और उसका कलाम भी सच्चा मुसलमान पर जिस तरह ला इलाहा इलल्लाह मान ना अल्लाह अज़्ज़वजल को अहद समद लाशरिका लहू जान ना फ़र्ज़ ए अव्वल वा मिन्नत ए ईमान है यूँही मुहम्मद रसूल अल्लाह ﷺ को खातमुन नबीईन मान ना है नबी ए करीम ﷺ का आखरी नबी होना निहायत बे गुबार और वाजै मसला है जिस पर क़ुरान ए करीम की आयत ए करीमा सरि हदीस ए पाक मौजूद है तमाम सहाबा से लेकर आज तक के तमाम मुसलमानो का इजमा है, अक़ीदा खत्मे नबूवत ईमान का जुज़ है अहले ईमान ने इसकी मुहाफिज़त के लिए ना जाने कितनी शहादत दी है और कभी इससे पीछे नहीं हटे सहाबा से लेकर आज तक की तारिख इसकी गवाह है मगर कुछ लानती किस्म के लोग हमेशा आयें है जिन्होंने झूठा दावा ए नबूवत करके आम मुसलमानो को शक व शुबहात में मुब्तेला किया जिनके बारे में नबी ﷺ ने पहले ही बता दिया था यहाँ हम क़ुरान ए करीम की आयत ए मुबारका और बोहत सी हदीस ए पाक अक़्वाल ए आइम्मा से इसपर दलाइल पेश करेंगे जिसको पढ़ कर आप मुतमईन होजायँगे
नबी ए करीम ﷺ का ख्वाब
हदीस 01 :
हज़रत अब्दुल्लाह इब्न अब्बास रदिअल्लाहु अन्हु से रिवायत है वो फरमाते है के हज़रत अबू हुर्रेरा रदिअल्लाहु अन्हु ने उन्हें बयान फ़रमाया के नबी ए करीम ﷺ ने ख्वाब देखा के सोने के दो कंगन आप की हथेलियों में रखे गए जो आप ﷺ को बोझल महसूस हुवे आप ﷺ को वही की गयी के इन पर फूंक मारे जब आप ﷺ ने फूंक मारी तो वो उतर गए नबी ﷺ ने इसकी ताबीर ये की के दो झूठे नबी जाहिर होंगे एक कबीले सना का अस्वद अन्सी और दूसरा कबीला ए यमामा का मुसैलमा कज़्ज़ाब
(सहीह बुखारी जिल्द 02 /507, किताबुल मनाक़िब, हदीस : 3620-3621, बाब : عَلاَمَاتِ النُّبُوَّةِ )
(सहीह बुखारी जिल्द किताबुल मग़ज़ी, हदीस : 4378 -4379)
(इमाम तिर्मिज़ी सुनन, हदीस : 2292)
इन दोनों के बारे में और बाकी आने वाले मुनकिर ए खत्मे नबूवत ﷺ के फ़ित्ने के बारे में नबी ﷺ ने बयान फरमा दिया था जैसा के हदीस ए पाक में बयान हुवा ये दोनों जाहिर हुवे
इन दोनों के बारे में और बाकी आने वाले मुनकिर ए खत्मे नबूवत ﷺ के फ़ित्ने के बारे में नबी ﷺ ने बयान फरमा दिया था जैसा के हदीस ए पाक में बयान हुवा ये दोनों जाहिर हुवे
ज़माने ए रिसालत ﷺ में दावा ए नबूवत करने वाले झूठे
1. अस्वद अल अनसी : इसको हज़रत फ़िरोज़ देलमी रदिअल्लाहु अन्हु ने 11 हिजरी में नबी ए अकरम ﷺ की हयात में ही कत्ल किया
2. मुसैलमा कज़्ज़ाब : इसने अहेद ए रिसालत ﷺ में दावा ए नबूवत किया इसको सिद्दीके ए अकबर रदिअल्लाहु अन्हु के दौर ए खिलाफत सन 12 हिज़री जंग ए यमामा में हज़रत वहशी रदिअल्लाहु अन्हु ने क़त्ल किया
ज़माने ए सहाबा में दावा ए नबूवत करने वाले झूठे
3. सजाह बिन्त अल हरिस : ये एक औरत थी जो कबीला ए बनु तमीम से ताल्लुक रखती थी इसने भी नबूवत का दावा किया बनी तबलग के कुछ सरदार भी इसके साथ हो लिए इसने बाद में मुसैलमा कज़्ज़ाब से शादी करली खालिद इब्न वलीद रदिअल्लाहु अन्हु के लश्कर के सामने जब टिक ना सकी तो वहां से भाग खड़ी हुवी और एक जज़ीरे में गुमनामी की ज़िन्दगी बसर करने लगी
4.तुलेहा इब्न ख़ुवैलीद अल असदी कबीला ए बनी असद : का इसने भी दावा ए नबूवत किया और बाद में जंग ए बूज़ागा मे हज़रत सैफुल्लाह खालिद इब्न वलीद रदिअल्लाहु अन्हु के लश्कर से शिकस्त खायी और आखिर में तालिब होकर ईमान ले आये
5. मुखतार सक़फ़ी (67 हिजरी) : शहादत ए इमाम हुसैन रदिअल्लाहु अन्हु के बाद इसने एक एक यज़ीदियों को चुन चुन कर मारा बड़ी शोहरत भी हासिल की लेकिन बाद में नबूवत का दावा कर बैठा
और हज़रत मुसाब इब्न ज़ुबैर रदिअल्लाहु अन्हु से जंग में शिकस्त खायी और क़त्ल हुवा |
ये तो रही शुरुवाती दौर की बात इसके बाद ये सिलसिला आज तक जारी है, इसमें ही एक फितना पंजाब गुरदासपुर के क़ादियान से निकला जिसको मिर्ज़ा गुलाम अहमद क़ादियानी कहा जाता है इस दज्जाल ने भी नबूवत का दावा किया |
इसके बाद भी कोई ना कोई ये दावा करता रहा और आज भी कुछ कर रहे हैं बिल आखिर ये दज्जाल से जा मिलेंगे
इसके बाद भी कोई ना कोई ये दावा करता रहा और आज भी कुछ कर रहे हैं बिल आखिर ये दज्जाल से जा मिलेंगे
ख़त्मे नबूवत के दलाइल क़ुरान और तफ़्सीर से
आयत 01 :
आयत 01 :
مَا كَانَ مُحَمَّدٌ اَبَاۤ اَحَدٍ مِّنْ رِّجَالِكُمْ وَ لٰكِنْ رَّسُوْلَ اللّٰهِ وَ خَاتَمَ النَّبِیّٖنَؕ-
“मुहम्मद मर्दो में से किसी के बाप नहीं मगर अल्लाह के रसूल और आखरी नबी है”
(33 सूरह अहज़ाब आयत 40)
इस आयत की तफ़्सीर में मुफ्फसीरिन ने लिखा है नबी ए अकरम ﷺ आखरी नबी हैं
इमाम अबू जाफर मुहम्मद इब्न जरीर तबरी रहमतुल्लाह अलैह (अल मुतवफ़्फ़ा 310 हिज़री) लिखतें है
"خاتَمَ النَّبِيّينَ से मुराद आखरी नबी है"
(तफ़्सीर इब्न जरीर जिल्द :12, पेज : 19 जेरे आयात सूरह अहज़ाब आयत 40)
इमाम मुहम्मद इब्न हुसैन बग़वी अश शाफ़ई रहमतुल्लाह अलैह (अल मुतवफ़्फ़ा 516 हिज़री) "यानी आखरी नबी" (तफ़्सीर ए बगवी जिल्द 03/533)
इमाम फखरूदीन राज़ी शाफ़ई रहमतुल्लाह अलैह (अल मुतवफ़्फ़ा 606 हिज़री) "यानी आप उम्मत पर बाप की तरह है और बाप दो नहीं हुवा करते" (तफ़्सीर ए कबीर जिल्द :09/171)
इमाम नसीरुद्दीन अब्दुल्लाह इब्न उमर बैज़ावी शाफ़ई (अल मुतवफ़्फ़ा 685 हिज़री)
"यानी आखरी नबी जिसने उन्हें ख़त्म किया या उनके जरिये ख़त्म किये गए" (तफ़्सीर ए बैज़ावी जिल्द :02 /348)
इमाम नसाफ़ी अल हनफ़ी मातुरीदी (अल मुतवफ़्फ़ा 710 हिजरी)
"यानी आप आखरी नबी आप के बाद कोई नबी नहीं बनाया जायेगा | हज़रत इसा अलैहस्लाम आप से पहले नबी बनाये गए (तफ़्सीर ए मदारिक - नसाफ़ी, जिल्द 03/503)
तफ़्सीर ए ज़लालैन में भी ये नक़ल है यानी आपके जरिये ख़त्म किये गए (पेज#355)
इमाम अली इब्न मुहम्मद इब्न इब्राहिम रहमतुल्लाह अलैह (अल मुतवफ़्फ़ा 741 हिज़री)
"यानी अल्लाह तआला ने आप पर नबूवत को ख़त्म कर दिया अब आपके बाद कोई नबी नहीं ना आपके साथ कोई नबी है" (तफ़्सीर ए खाज़िन जिल्द 03/305)
हाफिज इब्न कसीर (अल मुतवफ़्फ़ा 774 हिज़री) अपनी तफ़्सीर में लिखते है "यानी ये आयत इस मौज़ू पर नस्स है के आपके बाद कोई नबी नहीं (तफ़्सीर ए क़ुरान अल अज़ीम लील इब्न कसीर जिल्द 03/665)
नबी ए अकरम ﷺ को तमाम आलम के लिए रेहमत बना कर भेजा गया
आयत 02 :
आयत 02 :
وَ مَاۤ اَرْسَلْنٰكَ اِلَّا رَحْمَةً لِّلْعٰلَمِیْنَ
“और हमने तुम्हे तमाम आलम के लिए रेहमत बना कर भेजा”
(21 सूरह अल अम्बिया आयत : 107)
आयत 03:
قُلْ یٰۤاَیُّهَا النَّاسُ اِنِّیْ رَسُوْلُ اللّٰهِ اِلَیْكُمْ جَمِیْعَاﰳ الَّذِیْ لَهٗ مُلْكُ السَّمٰوٰتِ وَ الْاَرْضِۚ
तुम फ़रमाओ ऐ लोगो मैं तुम सबकी तरफ़ उस अल्लाह का रसूल हूँ कि आसमानों और ज़मीन की बादशाही उसी को है
तुम फ़रमाओ ऐ लोगो मैं तुम सबकी तरफ़ उस अल्लाह का रसूल हूँ कि आसमानों और ज़मीन की बादशाही उसी को है
(07 सूरह अल अराफ़ आयत 158)
आयत 04:
وَ اَرْسَلْنٰكَ لِلنَّاسِ رَسُوْلًاؕ-
“और ऐ मेहबूब हमने तुम्हें सब लोगों के लिये रसूल भेजा”
(04 सूरह अल निसा आयत : 79)
हुज़ूर नबी ए अकरम ﷺ के पहले जितने अम्बिया अलैहसलाम गुज़रे वो बस अपने ही एक वतन कौम के ख़ातिर भेजे गए मगर जिनके सर खत्मे नबूवत ﷺ का ताज पहना ना था जब उन्हें भेजा तो पूरी दुनिया के लिए रहमत बना कर भेजा
क़ुरान में नबी ﷺ के बाद किसी वही पर ईमान लाने का ज़िक्र नहीं है
आयत 05:
یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْۤا اٰمِنُوْا بِاللّٰهِ وَ رَسُوْلِهٖ وَ الْكِتٰبِ الَّذِیْ نَزَّلَ عَلٰى رَسُوْلِهٖ وَ الْكِتٰبِ الَّذِیْۤ اَنْزَلَ مِنْ قَبْلُؕ
“ऐ ईमान वालो ईमान रखो अल्लाह और अल्लाह के रसूल पर और इस किताब पर जो अपने इन रसूल पर उतरी और उस किताब पर जो पहले उतरी”
(04 सूरह अल निसा आयात : 136)
आयत 06 :
وَ الَّذِیْنَ یُؤْمِنُوْنَ بِمَاۤ اُنْزِلَ اِلَیْكَ وَ مَاۤ اُنْزِلَ مِنْ قَبْلِكَۚ-وَ بِالْاٰخِرَةِ هُمْ یُوْقِنُوْنَؕ
“और वो कि ईमान लाएं उस पर जो ए मेहबूब तुम्हारी तरफ़ उतरा और जो तुम से पहले उतरा और आख़िरत पर यक़ीन रख़े”
(02 सूरह अल बक़रा आयत : 04)
रसूलो से हुज़ूर रेहमत ए आलम ﷺ पर ईमान लाने का वादा लेना
आयत 07 :
وَ اِذْ اَخَذَ اللّٰهُ مِیْثَاقَ النَّبِیّٖنَ لَمَاۤ اٰتَیْتُكُمْ مِّنْ كِتٰبٍ وَّ حِكْمَةٍ ثُمَّ جَآءَكُمْ رَسُوْلٌ مُّصَدِّقٌ لِّمَا مَعَكُمْ لَتُؤْمِنُنَّ بِهٖ وَ لَتَنْصُرُنَّهٗؕ-قَالَ ءَاَقْرَرْتُمْ وَ اَخَذْتُمْ عَلٰى ذٰلِكُمْ اِصْرِیْؕ-قَالُوْۤا اَقْرَرْنَاؕ-قَالَ فَاشْهَدُوْا وَ اَنَا مَعَكُمْ مِّنَ الشّٰهِدِیْنَ
“और याद करो जब अल्लाह ने पैग़म्बरों से उनका एहद लिया, जो मैं तुमको किताब और हिकमत दूं फिर तशरीफ़ लाए तुम्हारे पास वो रसूल कि तुम्हारी किताबों की तस्दीक़ फ़रमाए तो तुम ज़रूर उसपर ईमान लाना और ज़रूर ज़रूर उसकी मदद करना फ़रमाया क्यों तुमने इक़रार किया और उस पर मेरा भारी ज़िम्मा लिया सबने अर्ज़ की हमने इक़रार किया फ़रमाया तो एक दूसरे पर गवाह हो जाओ और मैं आप तुम्हारे साथ गवाहों में हूं”
(3 सूरह अल इमरान आयत : 81)
हुज़ूर नबी ए अकरम ﷺ के पहले जितने अम्बिया अलैहुमुसलाम गुज़रे उन सबसे बाद वालो की तस्दीक ली गयी जबूर, तौरेत और इंजील शरीफ में नबी ए अकरम ﷺ के आने की साफ़ साफ़ निशानिया बयान की गयी और सबसे नबी ﷺ पर ईमान लाने का वादा लिया गया मगर नबी ﷺ के बाद किसी नबी के आने का कोई ज़िक्र नहीं किया गया | गोया इन आयत ए करीमा में साफ़ इशारा है के क़ुरान ही अल्लाह की जानिब से आखरी किताब और आखरी नबी आप ﷺ पर सिलसिला ए नबूवत ख़त्म किया गया
आयत 08 :
اَلْیَوْمَ اَكْمَلْتُ لَكُمْ دِیْنَكُمْ وَ اَتْمَمْتُ عَلَیْكُمْ نِعْمَتِیْ وَ رَضِیْتُ لَكُمُ الْاِسْلَامَ دِیْنًاؕ
“आज मैंने तुम्हारे लिए तुम्हारा दीन मुकम्मल कर दिया और मैंने तुम पर अपनी नैमत तमाम कर दी और तुम्हारे लिए इस्लाम को पसंद किया”
(05 सूरह अल माइदा आयत : 03)
आयत 09 :
اِنَّ الدِّیْنَ عِنْدَ اللّٰهِ الْاِسْلَامُ۫
“बेशक अल्लाह के यहां इस्लाम ही दीन है”
(03 सूरह अल इमरान आयत : 19 )
आयत 10 :
اِنَّمَا الْمُؤْمِنُوْنَ الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا بِاللّٰهِ وَ رَسُوْلِهٖ ثُمَّ لَمْ یَرْتَابُوْا وَ جٰهَدُوْا بِاَمْوَالِهِمْ وَ اَنْفُسِهِمْ فِیْ سَبِیْلِ اللّٰهِؕ-اُولٰٓىٕكَ هُمُ الصّٰدِقُوْنَ
“ईमान वाले तो वही हैं जो अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान लाए फिर शक न किया और अपनी जान और माल से अल्लाह की राह में जिहाद किया, वही सच्चे हैं”
(49 सूरह अल हुजरात आयत : 15)
इन आयात ए करीमा में साफ़ वाज़ह है के अल्लाह के यहाँ मक़बूल दीन सिर्फ इस्लाम है इन आयतों में उनके लिए भी लम्हा ए फिक्रिया है जो ये आज आज़ाद ख़याली को ही दीन समझ रहे हैं और कहतें है हर धर्म सहीह है हर मज़हब खुदा तक ले जायेगा हरगिज़ ऐसा नहीं है अल्लाह ने अपने बन्दों के लिए सिर्फ इस्लाम को ही पसंद किया है दूसरा कोई धर्म कबूल नहीं होगा अल्लाह को एक मान ना है शिर्क कुफ्र से बाज़ रहना है और वो भी मुहम्मद मुस्तफा ﷺ के ज़रिये से मान ना है अल्लाह पाक और रसूल ﷺ की हर बात की तस्दीक़ बिना शक व शूबहात के मान ना है और वही लोग कामयाब हैं
खत्मे नबूवत पर हदीस ए पाक से दलाइल
हदीस 01 :
हदीस 01 :
हज़रत अबू हरैरा रदिअल्लहु अन्हु से रिवायत है नबी ए करीम ﷺ ने इरशाद फ़रमाया मेरी मिसाल और गुज़िश्ता अम्बिया ए किराम عليه الصلاة والسلام की मिस्ल ऐसी है, जैसे किसी ने एक बहोत खूबसूरत मकान बनाया और उससे खूब आरास्ता किया लेकिन एक गोशे में एक ईंट की जगह छोड़ दी लोग आकर इस मकान को देखने लगे और इस पर ताज्जूब का इज़हार करते हुवे कहने लगे, ईंट क्यों नहीं रखी गयी ?
नबी ए अकरम ﷺ ने फ़रमाया मैं वही ईंट हूँ और खातमून नबिईन हूँ
(सहीह बुखारी जिल्द :04/454, क़िताबुल मनाक़िब, बाब : خَاتِمِ النَّبِيِّينَ ﷺ ,हदीस : 3535, )
(सहीह मुस्लिम जिल्द :06, हदीस : 5674, 5675, 5676, 5677, किताबुल फ़ज़ाइल, बाब : ذِكْرِ كَوْنِهِ صلى الله عليه وسلم خَاتَمَ النَّبِيِّينَ )
इमाम मुस्लिम ने हदीस 5674 - 5675 हज़रत अबू हरैरा से रिवायत की, 5676 हज़रत अबू सईद खुदरी से, 5677 हज़रत जाबिर इब्न अब्दुल्लाह से रिज़वान अल्लाहीम अजमईन
(इमाम अहमद इब्न हन्बल अल मुसनद हदीस : 7278, 7436,7917,8959,9132)
(इमाम नसाई सुनन अल कुबरा जिल्द :06/436, हदीस : 11422)
(इमाम तबरानी मुसनद अल शामिन हदीस : 130, 3231 || मजमा उल औसत हदीस : 3274)
(मुसनद अल हुमैदि जिल्द :06/600 , हदीस : 1067)
हदीस 02 :
हज़रत साद इब्न अबी वक़्क़ास रदिअल्लाहु अन्हु से मरवी है नबी ए अकरम ﷺ जब जंग ए तबूक के लिए जाने लगे तो हज़रत अली रदिअल्लाहु अन्हु को बुलाया और मदीना ए तय्यबा में अपना खलीफा मुंतखीब किया, हज़रत अली ने अर्ज़ किया क्या आप ﷺ मुझे औरतों और बच्चो के साथ छोड़े जा रहे है ?
रसूल अल्लाह ﷺ ने फ़रमाया क्या तुम इस बात से राजी नहीं के तुम्हे मेरे दरबार वो मर्तबा हासिल हो जो हज़रत मूसा عليها السلام के दरबार में हज़रत हारून عليها السلام को था मगर ये के मेरे बाद कोई नबी नहीं
(सहीह बुखारी जिल्द :05/424, क़िताबुल मगाजी, बाब : ग़ज़वा ए तबूक, हदीस : 4416)
(सहीह मुस्लिम जिल्द :06/261, हदीस : 6217, किताबुल फ़ज़ाइल ए सहाबा ,बाब : फ़ज़ाइल ए अली इब्न अबू तालीब)
(सुनन तिर्मिज़ी जिल्द : 06/400, हदीस : 3731, रिवायत हज़रत जाबिर इब्न अब्दुल्लाह रदी अल्लाहु अन्हु)
हदीस 03:
हज़रत अनस इब्न मालिक रदिअल्लाहु अन्हु से रिवायत है नबी ए अकरम ﷺ ने फ़रमाया बेशक रिसालत और नबूवत ख़त्म कर दी गयी अब मेरे बाद कोई रसूल और नबी नहीं होगा
(इमाम तिरमिजी सूनन जिल्द 04/318,हदीस :2272)
هذا حَدِي حسنٌ صحيحٌ
इमाम तिरमिजी फरमाते है ये हदीस हसन सहीह है
(इमाम अहमद इब्न हन्बल अल मुसनद जिल्द 03/467, हदीस : 13851 )
(इमाम हाकिम अल मुसतदरक जिल्द :04/391,हदीस : 8178)
(इमाम अबू याला अल मुसनद जिल्द : 7/38, हदीस : 3947)
(इमाम अबू याला अल मुसनद जिल्द : 7/38, हदीस : 3947)
हदीस 04:
हज़रत अबू हुरैरा रदिअल्लाहु अन्हु बयान करते हैं हुजुर नबी करीम ﷺ ने फरमाया अंबिया किराम बनी इज़राइल पर हुकमुरां हुआ करते थे। एक नबी का विसाल होता तो दूसरा नबी उसका खलीफा होता लेकिन (याद रखो) मेरे बाद हरगिज़ कोई नबी नहीं है।"
(इमाम इब्न हिब्बान अस सहीह जिल्द : 10/418, हदीस : 4555 || जिल्द : 14/142, हदीस : 6249)
(इमाम अबू अवानाह अल मुसनद जिल्द : 04/409 , हदीस : 7128)
30 नबूवत के झूठे दावेदारों का रद्द
हदीस 05 :
हदीस 05 :
हज़रत अबू हरैरा रदिअल्लाहु अन्हु से मरवी है नबी ए अकरम ﷺ ने फ़रमाया कयामत उस वक़्त तक न आएगी जब तक मेरी उम्मत में 30 दज्जल ना आजाये उनमे से हर कोई नबी होने का दावा करेगा
(सुनन अबू दावूद जिल्द :04/535 , हदीस : 4333,4334, किताबुल मलाहीम)
(सहीह बुखारी, किताबुल मनाक़िब, हदीस 3609)
(सहीह मुस्लिम जिल्द :07/317, हदीस : 7342 ,किताबुल फितन)
(सुनन तिर्मिज़ी जिल्द : 05, हदीस : 2218 , किताबुल फितन)
(सुनन इब्न माजा जिल्द : 05, हदीस : 3952, किताबुल फितन, हज़रत सौबान रदिअल्लहु अन्हु से मरवी है )
हदीस 06 :
अबू बकर सिद्दिक रदिअल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि जब तक नबी करीम ﷺ ने मुसैलमा कज़्जाब के बारे मै अपनी राय का इज़हार नहीं फरमाया था, लोगों ने इस के बारे मै बुहत कुछ कहा, फिर एक रोज़ नबी ए करीम ﷺ लोगों के दरमियान खिताब के लिए तशरीफ़ लाये और अल्लाह की शान के लायक इसकी हमद ओ सना के बाद फरमाया, ये शख्स जिस के मुत्तालिक तुम बूहत ज़ादा गुफ्तगू कर रहे हो पस बेशक ये दज्जाल ए अकबर से पहले निकलने वाले तीस (30) कज़्जाबो मै से एक है।"
(इमाम हाकिम अल मुसतदरक जिल्द : 04/573 -74, हदीस : 8624 - 8625)
(इमाम तहावी अल मुश्किलुल आसार जिल्द :04/104)
हदीस 07 :
हज़रत अब्दुल्ला बिन ज़ुबैर रदिअल्लाहु अन्हु से रिवायत है के रसूले करीम ﷺ ने फरमाया! ! कयामत उस वक़्त तक कायम नहीं होगी जब तक तीस कज़्ज़ाब व दज्जाल ना निकल आएं, उन्ही मेसे मुसैलमा कज़्ज़ाब, अस्वद अल अंसी और मुख़्तार हैं
(इमाम बैहक़ी दलाइलउन नबुवाह जिल्द : 06/481)
(इमाम अबू याला अल मुसनद जिल्द :06/45, हदीस : 6786, मुसनद अब्दुल्लाह इब्न ज़ुबैर रदी अल्लाहु अन्हु)
(हाफिज इब्न कसीर मोजिज़ात उन नबी पेज : 179)
हदीस 08 :
"हज़रत समराह बिन जुन्दब रदिअल्लाहु अन्हु से रिवायत है नबी ए अकरम ने इरशाद फ़रमाया क़यामत उस वक्त तक कायम न होगी जब तक 30 झूठे नबी जाहिर ना होजाए और उन झूठे नबियो में से आखिर में काना दज्जाल जाहिर होगा"
(इमाम अहमद इब्न हंबल अल मुसनद, जिल्द : 07/265, हदीस : 20198)
नबी ए करीम ﷺ का अपने इसमें गिरामी से खत्मे नबूवत होने का बयान
हदीस 09 :
हजरत जूबैर इब्ने मुतीम रदीअल्लाहु से रिवायत है नबी ए अकरम ﷺ ने अपने पांच अस्मा ए गिरामी बयान फरमाऐ मैं मुहम्मद हूँ, मैं माही हूँ जिसके जरिए से अल्लाह ने कुफ्र को मिटाया और हाशीर हूँ जिसके पास जमा किए जाएँगे और अल आकीब हूँ जिसके बाद कोई नबी नहीं होगा
(सहीह बुखारी जिल्द :04/453, किताब उल मनाकीब, हदीस :3532)
(सहीह बुखारी, किताब ऊत तफसिर, हदीस : 4896)
(सहीह मुस्लिम, जिल्द : 06/197-98, हदीस : 5892 किताब उल फ़ज़ाइल)
(इमाम सुनन तिर्मिज़ी जिल्द :05/187 हदीस :2840 किताब उल अदब)
(इमाम मालिक अल मुवत्ता किताब अस्मा उन नबी, हदीस :1861)
हदीस 10 :
हज़रत इब्ने अब्बास रदिअल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि नबी ﷺ ने फरमाया,"मैं अहमद हूं और मुहम्मद हूं और हाशिर हूं और मुकफी हूं और खातिम हूं।"
(इमाम तबरानी अल मुआजम अल औसत जिल्द :02 /378, हदीस:2280)
(इमाम तबरानी अल मुआजम अस सगीर, हदीस : 152)
(इमाम हैथमि अल मज़मा उज़्ज़ जवाईद जिल्द : 08/284)
तमाम अम्बिया अलैहमुसलाम पर फ़ज़ीलत से खत्मे नबूवत का बयान
हदीस 11 :
हज़रत अबू हुरैरा रदिअल्लाहु अन्हु से रिवायत है के रसूले करीम ﷺ ने फरमाया मुझे दीगर अंबिया पर छे चीजों के बाईस फजीलत दि गई है। मै जवामे-किलम से नवाजा गया हूं और रुआब के साथ मैरी मदद की गई है और मेरे लिए अमवाले गनीमत हलाल किए गए है और मेरे लिए (सारी) ज़मीन पाक कर गई है और मै तमाम मखलूक की तरफ भेजा गया हूं और मेरी आमद से अंबिया का सिलसिला ख़तम कर दिया गया है।"
(सहीह मुस्लिम जिल्द 1/371, किताब उल मस्जिद वा मवाजी उस सलात, हदीस : 1062)
(सहीह मुस्लिम जिल्द 1/371, किताब उल मस्जिद वा मवाजी उस सलात, हदीस : 1062)
(सुनन तिर्मिज़ी हदीस : 1553)
(इमाम अहमद अल मुसनद जिल्द :2/411 हदीस : 9326)
मुहर ए नबूवत ﷺ से खत्मे नबूवत का बयान
हदीस 12 :
हज़रत इब्राहीम बिन मुहम्मद रदिअल्लाहु अन्हु जो हज़रत अली रदिअल्लाहु अन्हु की औलाद मै से हैं, फरमाते हैं हज़रत अली रदिअल्लाहु अन्हु हुजुर नबी करीम ﷺ की सिफत बयान करते हुए फरमाते हैं आप ﷺ के दोनो कांधो के दरमियान मोहरे नबवत थी और आप ﷺ खतमन नबीन हैं "
(इमाम तिर्मिज़ी सुनन किताबुल मनाकीब जिल्द :05/599, हदीस : 3637)
(इमाम इब्ने अबी शेबा, अल मुसन्नफ़ जिल्द : 06/328, हदीस : 31804)
(इमाम तिर्मिज़ी शामाइल ए मुहम्मदिया, हदीस : 18 باب ما جاء في خاتم النبوة)
आखरी नबी ﷺ आखिरी उम्मत
हदीस 13 :
हदीस 13 :
हज़रत अबू उमामा बाहिली रदिअल्लाहु अन्हु से इब्न माजा में तवील रिवायत नक़्ल है जिसमे है कि रसूल अल्लाह ﷺ ने फरमाया,"मै तमाम अंबिया मे से आखिर हूं और तुम भी आखरी उम्मत हो।
(सुनन इब्न माजा, जिल्द : 05 /135, किताबुल फितन, हदीस : 4077)
(इमाम हाकिम अल मुसतदरक जिल्द : 04/480, हदीस : 8620)
(इमाम इब्न असीम अस सुन्नाह, जिल्द : 01/171, हदीस : 391)
(इमाम तबरानी अल कबीर हदीस : 7644, मुसनद शमाईन हदीस : 1239)
हज़रत अब्बास और उनकी औलाद के हक़ में दुआ फरमाना और खत्मे नबूवत का ज़िक्र करना
हदीस 14 :
हज़रत सुहैल बिन साद रदिअल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि नबी करीम ﷺ ने अपने चचा हज़रत अब्बास रदिअल्लाहु अन्हु से फरमाया: मै खातमन नबीन हूं फिर आप ﷺ ने हाथ उठाए और दुआ की, ए अल्लाह! तू अब्बास, अब्बास के बेटों,और अब्बास के पोतों की मगफिरत फरमा।"
(इमाम तबरानी अल मुजम अल कबीर :06/205, हदीस : 6020)
(इमाम हैथमि मज़मा अज़ ज़वाइद जिल्द : 09/269)
तमाम रसूलो के क़ाइद और खतामं- नबीन ﷺ होना
हदीस 15 :
हज़रत जाबिर बिन अब्दुललाह रदिअल्लाहु अन्हु से मरवी है के रसूले करीम ﷺ ने फरमाया,"मै रसूलों का काइद हूं और मुझे (इस बात पर) फख्र नहीं और मै खतामं- नबीन हूं (मुझे इस बात पर ) कोइ फख्र नहीं है मै पैहला शिफ़ात करने वाला हूं और मै ही वो पैहला(शख्स) हूं जिसकी शिफ़ात कबूल होगी और मुझे (इस बात पर) कोइ फख्र नहीं है।"
(इमाम दारिमि अस सुनन जिल्द : 01/40, हदीस : 49)
(इमाम तबरानी अल मुआजम अल औसत जिल्द : 01/69 , हदीस : 170)
(इमाम बुखारी अतः तारीख़ुल कबीर जिल्द: 04/276, हदीस : 2837)
(इमाम बैहक़ी किताबुल ऐतेकाद जिल्द : 01/192)
मैदान ए महशर मे खत्मे नबुवत का ऐलान
बरोज़ ए क़यामत हदीस ए शफात से खत्मे नबूवत ﷺ का सबुत शफात उनकी होगी जो रसूल अल्लाह ﷺ को आखरी नबी मानेंगे
हदीस 16 :
हज़रत अबू हरैरा रदिअल्लाहु ताला अन्हु से एक तवील रिवायत इमाम बुखारी रहमतुल्लाह अलैह ने बुखारी शरीफ में नक़ल की है बयान करते है लोग अपने गुनाहों के सबब अल्लाह के जलाल से शफात के लिए हज़रत आदम अलैहिसलाम के पास जायेंगे वो उन्हें हज़रत नूह अलैहसलाम के पास भेज देंगे हज़रत नूह उन्हें हज़रत खलीलुल्लाह इब्राहिम अलैहसलाम के पास भेज देंगे फिर हज़रत इब्राहिम अलैहसलाम लोगों को हज़रत मूसा अलैहसलाम के पास जाने कहेंगे हज़रत मूसा अलैहसलाम उन्हें हज़रत रूहुल्लाह इसा नबियना अलैहसलाम लोगों को हज़रत मुहम्मद मुस्तफा ﷺ के जानिब भेजेंगे तो लोग हुज़ूर नबी ए अकरम के पास आकर फरियाद करेंगे
اذْهَبُوا إِلَى مُحَمَّدٍ صلى الله عليه وسلم فَيَأْتُونَ مُحَمَّدًا صلى الله عليه وسلم فَيَقُولُونَ يَا مُحَمَّدُ أَنْتَ رَسُولُ اللَّهِ وَخَاتَمُ الأَنْبِيَاءِ،
या मुहम्मद ﷺ आप अल्लाह के रसूल ﷺ है और खातमन नाबिईन ﷺ है
फिर रसूल ए अकरम ﷺ सज़दे में जायेंगे और अल्लाह ताला की हमद ओ सना करके लोगों की शफात करेंगे
(सहीह बुखारी, किताबुत तफ़्सीर, हदीस : 4712)
(इमाम तिर्मिज़ी सुनन, कितबुर राकाइक, हदीस : 2433)
قَالَ أَبُو عِيسَى هَذَا حَدِيثٌ حَسَنٌ صَحِيحٌ
हज़रत इमाम तिर्मिज़ी फरमाते है ये हदीस हसन सहीह है
قَالَ أَبُو عِيسَى هَذَا حَدِيثٌ حَسَنٌ صَحِيحٌ
हज़रत इमाम तिर्मिज़ी फरमाते है ये हदीस हसन सहीह है
हज़रत आदम अलैहसलाम के पहले खत्मे नबूवत लिखे जाने का बयान
हदीस 17:
हज़रत अरबाज बिन सरिय रदिअल्लाहु अन्हु रिवायत करते हैं कि नबी करीम ﷺ ने फरमाया, "मै अल्लाह का बंदा उस वक़्त खातमन नबीन लिखा जा चुका था जबकि आदम عليه السلام अभी खमीर से पहले अपनी मिट्टी मै थे।"
(इमाम अहमद बिन हनबल अल मुसनद जिल्द :04/227 -228 हदीस :17280)
(इमाम इब्न हिब्बान अस सहीह जिल्द : 14/313, हदीस : 6404)
(इमाम तबरानी अल मुजम उल कबीर जिल्द : 18/242, हदीस : 629)
(इमाम हाकिम अल मुसतदरक जिल्द :02/656, हदीस :4175)
(इमाम बैहक़ी शोएबल इमान जिल्द :02/134, हदीस :409)
(इमाम इब्ने अबी आसिम किताबुस सुन्नाह जिल्द 01/189)
(इमाम बुखारी अत तारीखुल कबीर जिल्द 06/37, हदीस : 1836)
(मिश्क़ात अल मासबीह जिल्द :03, किताबुल मनाक़िब, बाब फज़ाइल ए सय्यदुल मुर्सलीन, हदीस : 5759)
(इमाम बग़वी शाफई शरा उस सुन्नाह हदीस 3626)
(इमाम अली अल मुत्तक़ी हिंदी, कन्जुल उम्माल, बाब : फि फ़ज़ाइल हदीस 319)
नबी ए करीम ﷺ तख़लीक़ में अव्वल और बेसत में आखिर है
हदीस 18:
हज़रत अबू हुर्रेरा रदीअल्लाहु अन्हु क़ुरान ए करीम की इस आयत( وَإِذ أَخَذنا مِنَ النَّبِيّينَ ميثاقَهُم وَمِنكَ وَمِن نوحٍ ) और ऐ मेहबूब याद करो जब हमने नबियों से एहद लिया और तुमसे और नूह" | के तहेत इसकी तफ़्सीर रिवायत करते हैं नबी ए अकरम ने फ़रमाया मैं खिलकत के लिहाज से सबसे पहले और बासत के लिहाज से सबसे आखिर नबी हूँ सो उन सब से पहले (नबूवत) की इब्तेदा मुझसे की गयी
(इमाम तबरानी मुसनद अस शामिन जिल्द : 04/34, हदीस : 2662)
(इमाम जलालुद्दीन सुयूती तफ़्सीर दर्रे मंसूर जिल्द : 06/570, सूरह अहज़ाब आयत 07)
(इमाम जलालुद्दीन सुयूती तफ़्सीर दर्रे मंसूर जिल्द : 06/570, सूरह अहज़ाब आयत 07)
इस तरह की एक रिवायत हज़रत क़तादा रदिअल्लाहु अन्हु से मरवी है
(अल मुसन्नफ़ इब्न अबी शैबा जिल्द : 06/366, हदीस : 31762)
(अल मुसन्नफ़ इब्न अबी शैबा जिल्द : 07/80, हदीस : 34346)
हदीस 19 :
हज़रत उमर बिन खत्ताब रदिअल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि नबी करीम ﷺ ने फरमाया, "जब आदम عليه السلام से (हिकमत व माशीयत एजदी के तेहत) खता सर ज़रद हुई तो उन्होंने अपना चेहरा आसमान की तरफ उठाया और अर्ज़ करने लगे:( ए मेरे मौला!) मै तुझसे मुहम्मद के वसीले से सवाल करता हूं, क्या (फिर भी) तू मुझे माफ़ नहीं फरमा ऐगा? पस अल्लाह ताला ने हज़रत आदम عليه السلام की तरफ वही फरमाई के मुहम्मद क्या हैं? और मुहम्मद कोन हैं? तो हज़रत आदम عليه السلام ने अर्ज़ की: ए अल्लाह! तेरा नाम बाबरकत है जब तूने मुझे खिलअत ए तखलीक पहनाई तो मैने अपना सर उठा कर तेरे अर्श की तरफ देखा, वहां लिखा था
لآ اِلَهَ اِلّا اللّهُ مُحَمَّدٌ رَسُوُل اللّهِ
सो मैंने जान लिया के ये तेरे नज़दीक कोइ अज़ीम कदर व मंजिलत वाली ही ज़ात है जिसका नाम तूने अपने नाम के साथ मिला कर लिख रखा है चुनांचे अल्लाह ﷻ ने मेरी तरफ वही फरमाई कि ए आदम! ये तेरी औलाद में से खातमन नबीन हैं और इसकी उम्मत तेरी औलाद में से अखिरुल उमम है और ए आदम! अगर ये ना होता तो मै तुझे खिलअत ए तखलीक से ना नवाज़ता।"
(इमाम तबरानी अल मुजम उस सगीर जिल्द :02/182 , हदीस : 992)
(इमाम तबरानी अल मुजम उल औसत जिल्द :06 /313 -314 , हदीस : 6502)
(इमाम हैथमि अल मज़मा उज़ ज़वायद जिल्द :08/253)
नबी ए करीम ﷺ के बाद अगर किसी को नबूवत का इमकान होता तो वो ये होते
हदीस 20:
हज़रत उक़बा इब्न आमिर रदि अल्लाहु अन्हु से रिवायत है के नबी ए करीम ﷺ ने फ़रमाया अगर मेरे बाद कोई नबी होता तो वो उमर इब्न खत्ताब होते
(इमाम तिरमिज़ी सुनन जिल्द : 06/354, किताब मनाक़िब, हदीस : 3686)
(इमाम अहमद इब्न हन्बल अल मुसनद, हदीस : 17405)
(इमाम हाकिम अल मुसतदरक, हदीस : 4495)
(इमाम रुयानी अल मुसनद हदीस : 214, 223)
हदीस 21:
हज़रत इस्माइल इब्न अबू खालिद रदिअल्लाहु अन्हु बयान करते हैं के उन्होंने अब्दुल्लाह इब्न अबी औफा रदि अल्लाहु से पूछा क्या आपने रसूल अल्लाह ﷺ के साहबज़ादे हज़रत इब्राहिम रदिअल्लाहु अन्हु को देखा ? उन्होंने कहा वो बहोत छोटी उम्र में ही विसाल पा गए थे और अगर आप ﷺ के बाद किसी नबी की उम्मीद होसकती तो वो आपके साहबज़ादे होते लेकिन आप ﷺ के बाद कोई नबी नहीं है
(सहीह बुखारी किताबुल अदब, हदीस : 6194)
(सुनन इब्न माजाह, किताबुज जनाइज़, हदीस : 1510)
हुज़ूर ﷺ के बाद नबूवत नहीं खिलाफत है
हदीस 22:
हज़रत अबू हुरैरा से रिवायत है कि नबी करीमﷺ ने फरमाया,"(पहले ज़माने में) बनी इज़राइल की कयादत उनके अंबिया किया करते थे जब एक नबी विसाल फरमा जाता तो दूसरा नबी माबूस फरमा देते(फिर मेरी बासत होगई) मेरे बाद कोई नबी माबूस ना होगा(चोंकी मैं आखरी नबी हूं लिहाज़ा मेरे बाद) अब(मेरे) खुलफा होंगे जो ब कसरत होंगे".
(सहीह बुखारी, किताबुल अंबिया, बाब : ज़िक्र ए बनी इस्राईल, हदीस : 3455)
(इमाम मुस्लिम, किताबुल अमारा, हदीस : 4543)
(सुनन इब्न माजाह, किताबुज जिहाद, हदीस : 2871)
(इमाम नववी रियाद उस सालेहीन , हदीस : 656 )
खत्मे नबूवत का मुनकिर काफिर है
"हुज़ूर नबी ए करीम ﷺ खातमूनबीयीन है अल्लाह तआला ने नबूवत का सिलसिला हुज़ूर ﷺ पर ख़त्म कर दिया | हुज़ूर ﷺ के ज़माने में या उनके बाद कोई नबी नहीं हो सकता जो कोई हुज़ूर ﷺ के ज़माने में या उनके बाद किसी को नबूवत मिलना माने या जाइज़ समझे वो काफिर है"
(बहार ए शरीअत, हिस्सा अव्वल, अक़ाइद का बयान, नबूवत के बारे में अक़ीदा, पेज : 19,क़ादरी दारुल इशाअत)
हज़रत इमाम काजी अयाज़ मलिकी अलैहि रेहमा फरमाते हैं, अल्लाह ताला ने खबर दी है के आप ﷺ खातमन नबियीन हैं और आपके ﷺ बाद कोई नबी नहीं,आप ﷺ ने अल्लाह ताला की तरफ से ये खबर हम तक पुंहचाई है आप ﷺ खातमन नबियीन हैं और तमाम इन्सानों की तरफ भेजे गए हैं, और पूरी उम्मत का इस पर इजमा है के ये कलाम अपने जाहिर पर मेहमोल है और इसका मुरादी मफहूम यही है, इसमे कोई तावील और तखसिस नहीं और मुंकिरीन के कूफ्र मै कतअन और इज्माअन कोइ शक नहीं।"
(शिफा शरीफ हुक़ूक़ुल मुस्तफा, जिल्द : 02, Pg- 247)
हज़रत इमाम मुहम्मद ग़ज़ाली शाफ़ई अलैहि रेहमा लिखते हैं कि "बेशक उम्मत ने इजमाई तौर पर इन अल्फाज़ से और अहवाल के कराएन से यही समझा है के आप ﷺ के बाद अबद तक कोइ नबी नहीं और अबद तक कोई रसूल नहीं और इसमें कोई ताविल नहीं है और कोई तख्सिस नहीं।"
(अल इक़्तिसाद फि अल ऐतेक़ाद पेज : 125)
इमाम इब्न कुदामा अल हंबली मक़्दसि रहमतुल्लाह अलैह (अल मुतवफ़्फ़ा 620 हिजरी) बयान करते है ¨जो भी नबूवत का दावा करे और जो उस दावत को कबूल करता हो तो वो दोनों मुर्तद (काफिर) है, क्योंंकि जब मुसैलमा कज़्ज़ाब ने नबूवत का दावा किया और उसकी कौम ने उसका साथ दिया तो सब उसके साथ मुर्तद होगए'
(इब्न कुदामा अल मुगनी जिल्द :09, पेज : 33, दारुल फिक्र बेरुत लेबनान)
इमाम शेरानी अलैहि रेहमा (अल मुतवफ़्फ़ा 973 हिजरी) लिखते हैं, "जानलो के इसपे इजमा मुनअकिद हो चुका है के आप ﷺ जिस तरह खातमन नबी हैं उसी तरह खातमन मुरसलीन भी हैं¨
(इमाम अब्दुल वहाब अल शेरानी अल यावाक़ित वल जवाहिर जिल्द : 02/271)
हज़रत इमाम मूल्ला अली कारी अलैहि रेहमा (अल मुतवफ़्फ़ा 1014 हिजरी) लिखते हैं ,"हमारे नबी के बाद नबूवत का दावा करना बिल इजमा कुफ्र है।"
(शरह फ़िक़्ह अल अकबर पेज : 164)
यहाँ एक शुबहात डाला जाता है और अक्सर मुन्किरीन इसी पर बहस करते हैं जब नबी ﷺ आखरी नबी हैं तो हज़रत ईसा अलैहसलाम भी आएंगे तो आप ﷺ आखिर कैसे हैं ?
ये ऐतराज़ है और सारे झूठे दावेदार येही ऐतराज़ को अपने लिए दलील बनाते है मगर हैरत की बात है चाहे गुलाम अहमद मिर्ज़ा हो या कोई और दूसरे इन सबको ईसा अलैहसलाम का आखिरी ज़माने में दोबारा आना खत्मे नबूवत के खिलाफ तो लगता है पर इनका अपना दावा ए नबूवत करना खत्मे ए नबूवत के खिलाफ नहीं लगता
हज़रत इसा अलैहसलाम को नबी ए करीम ﷺ की बेसत के पहले ही नबूवत मिल चुकी है और आप ﷺ की नबूवत के बाद किसी का नबी बनाया जाना ये खत्मे नबूवत के मुनाफि है और तमाम मुफ़स्सिरीन अक़ाबिरीन ए उम्मत ने भी यही लिखा है हज़रत इसा अलैहसलाम को नबूवत पहले से ही मिल चुकी है
इमाम नसीरुद्दीन इब्न उम्र अल बैज़ावी रहमतुल्लाह अलैह ¨यानी खत्मे नबूवत से मुराद ये है के आप ﷺसबसे आखिर में मबऊस हुवे¨ (तफ़्सीर ए बैज़ावी जिल्द : 02/247)
इमाम अली इब्न मुहम्मद इब्न इब्राहिम रहमतुल्लाह अलैह "इसा अलैहसलाम उन नबियों में से है जो आप ﷺ से पहले मबऊस हो चुके" (तफ़्सीर ए खाज़िन जिल्द 03/503)
अल्लामा ज़मख़्शरी इस बारे में बयान करते हैं
¨अगर आप कहें के नबी ﷺ आख़री नबी कैसे हो सकते है ? जबकि हज़रत ईसा अलैहसलाम आखरी ज़माने में नाज़िल होंगे ? तो मै कहता हूँ के आप ﷺ का आखरी नबी ﷺ होना इस माने में है के आप ﷺ के बाद कोई शख्स नबी की हैसियत से मंबुस नहीं होगा | रहा हजरत ईसा अलैहसलाम का मामला तो आप उन नबियो में से है जो आप ﷺ की बासत से क़ब्ल नबूवत से सरफ़राज़ किये गए थे तो जब वो दोबारा आएंगे तो हज़रत मुहम्मद ﷺ की शरीयत के पैरों होंगे और क़िब्ले की तरफ रुख करके नमाज़ पढ़ेंगे क्यूंकि वो आप की उम्मत के एक फर्द होंगे¨
(अल्लामा ज़मख़्शरी, तफ़्सीर ए कशाफ़ जिल्द :03/ 545-46)
ऊपर बयान करदा क़ुरान ए मुक़द्दस की आयत ए करीमा, हदीस ए पाक से और अक़ाबीरीन ए उम्मत के फतवों से ये बात साबित है के अक़ीदा ए खत्मे नबूवत का मुनकिर काफिर है और वो शख्स भी जो ऐसे लोगों को इनके अक़ीदे जान ने के बाद भी इन्हे मुस्लमान जाने या अपना मज़हबी पेशवा रहनुमा माने वो भी काफिर है
इसी तरह मिर्ज़ा गुलाम अहमद क़ादियानी और उसके मान ने वाले जो रब्वा गिरोह हो या लाहौरी हो या आये दिन इंटरनेट पर झूठा दावा ए नबूवत करने वाले अहमद इसा, शकील इब्न हनीफ जैसे लोग हों ये और इनके मान ने वाले सब काफिर शुमार होंगे और इन्हे मुस्लमान जान ने वाला भी काफिर होजाएगा इसी बात को आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान रहमतुल्लाह अलैह (अल मुतवफ़्फ़ा 1340 हिज़री) ने हुस्सामुल हरमैन में बयान किया जो इनके कुफ्र वा अज़ाब पर शक करे वो भी काफिर है
ऊपर यहाँ इतने दलाइल दिए गए है जिसको खत्मे नबूवत के उन्वान पर एक तारीखी बयानात और क्रैश कोर्स की शक्ल में इस्लामी सेंटर्स में पढ़ाया जा सकता है
पोस्ट शेख शेर अली हनफ़ी अपनी दुआओ में हमे याद रखे और इस पोस्ट को ज़्यादा से ज़्यादा लोगो को शेयर करें
Subhan Allah
ReplyDeleteAli Bhai... Bhut Khoob...
Wakai apne bhut mehnat ki hai...
ALLAH apki is mehnat ko kabool farmaye.. Apko iska bethar jaza De...
Aur Aap Se Khoob Deen Ki Khidmat Le...
Aameen..
Mohammad Shamim Arif.
Assalam alaikum
ReplyDeleteMain aapki har post
Ko zaroor padhta hun
Aur copy karke what's app
Group pe bhi share karta hun
Subhan Allâh
ReplyDeleteBahut khubsurat
Allah تعالٰی aapke umar me barkate farmaye zyada se zyada deen ki khidmat karne ki taufiq farmaye